उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का कहर, एक सप्ताह में दो की मौत

उत्तराखण्ड हेल्थ

देहरादून। स्वाइन फ्लू ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। एच-1 एन-1 वायरस न केवल एक के बाद एक कई लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, बल्कि अब जानलेवा भी बन गया है। देर रात दून के श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती हरिद्वार की 41 साल की एक महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। स्वाइन फ्लू से एक सप्ताह के भीतर यह दूसरी मौत है।

इससे पहले मैक्स अस्पताल में तीन जनवरी को प्रेमनगर निवासी एक मरीज की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई थी। स्वाइन फ्लू से दो मरीजों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता के अनुसार महिला को गुरुवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

फिलहाल श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में तीन, सिनर्जी और मैक्स अस्पताल में एक-एक मरीज स्वाइन फ्लू के मरीज भर्ती है। सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। वहीं, एडवाइजरी जारी कर लोगों को भी एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू का वायरस लंबी बीमारी से ग्रसित लोगों, 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग वाले व्यक्तियों, पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों व गर्भवती महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।

सभी अस्पतालों को अलर्ट जारी 

जनपद देहरादून के समस्त सरकारी व निजी अस्पतालों को एलर्ट किया गया है। सीएमओ कार्यालय ने जरूरत पड़ने पर उन्हें दस बेड का स्वाइन फ्लू वार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। सभी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी मरीज पर स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर उसकी सूचना तुरंत सीएमओ कार्यालय को दें। उधर, दून अस्पताल और कोरोरेशन अस्पताल में स्वाइन फ्लू का अलग वार्ड बना दिया गया है।

महज सर्दी, बुखार समझ कर न करें नजरअंदाज

स्वाइन का मौसम है और ठंड लगना यानि सर्दी-जुकाम होना स्वभाविक है। मगर कई दिनों तक भी अगर सर्दी में आराम नहीं है तो इसे नजरअंदाज न करें। साथ में कुछ विशेष लक्षण दिखाई दें तो हो सकता है ये स्वाइन फ्लू की दस्तक हो। ऐसे में चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है।

कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तिमारदारों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखे तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।

शुरुआती चरण में वायरस घातक, विभाग मान रहा स्थिति सामान्य

प्रदेश में स्वाइन लू की दस्तक के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है। लिहाजा अधिकारी सतर्क हो गए हैं। यह बात अलग है कि शुरुआती चरण में ही घातक लक्षण वाले वायरस को विभाग सामान्य स्थिति मान रहा है।

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत ने शुक्रवार को विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर मामले की समीक्षा की। उन्होंने सभी जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि एच-1 एन-1 एक साधारण मौसमी सर्दी जुखाम की तरह है।

यह विषाणु (वायरस) जनित होने के कारण लोगों में खांसने अथवा छींकने से फैलता है। उन्होंने कहा कि इससे घबराने की कतई आवश्यकता नही है। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि यह अब एक महामारी की तरह नहीं बल्कि साधारण सीजनल इंफ्लूएंजा की तरह प्रसारित होने वाली बीमारी का रूप है।

सामान्यत: इस वायरस से ग्रसित व्यक्ति में बुखार, खांसी, गले में खरास, बदन दर्द, आंखों में जलन, डायरिया, उल्टी एवं सांस लेने में कठिनाई आदि लक्षण हो सकते है। इस प्रकार के लक्षण होने पर चिकित्सक से परामर्श लें और सामान्य स्थिति में घर पर ही आराम करना चाहिए।

स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि स्वाइन फ्लू के नियंत्रण एवं उपचार के लिए सभी जनपदों में एंटीवायरल औषधि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यह औषधियां सभी सरकारी व निजी चिकित्सालयों में मुख्य चिकित्साधिकारी के माध्यम से निश्शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।

समीक्षा बैठक में आइडीएसपी के नोडल अधिकारी डॉ. पंकज कुमार सिंह ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार एच-1 एन-1 के मरीजों को लक्षणों के आधार पर कैटेगरी ए, बी व सी में वर्गीकृत किया जाता है। इसी आधार पर ही मरीजों का उपचार होता है। सभी संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच की आवश्यकता नही होती है। केवल कुछ मरीजों में एहतियातन परीक्षण करना पड़ता है। बैठक में निदेशक डॉ. आरके पांडे, अपर निदेशक डॉ. शिशु पाल सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे।

ये बरतें सावधानी 

-खांसते या छींकते समय अपने मुंह एवं नाक को रुमाल रूमाल से ढक लें।

-नाक, कान या मुंह को छूने से पहले एवं बाद में अपने हाथों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह धोएं।

– खाना खाने से पहले व बाहर से आने पर हाथ साबुन से अच्छी तरह अवश्य धोएं।

-अधिक मात्रा में पानी पिएं व पौष्टिक आहार का सेवन करें।

-बुखार, सर्दी, जुखाम, खांसी, गले में खरास आदि लक्षण होने पर नजदीकी चिकित्सक से परामर्श लें।

-बीमारी के संदिग्ध व्यक्ति से शिष्टाचार में हाथ न मिलाएं व गले न लगें।

-बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाई ना लें और बीमारी के दौरान यात्रा करने से बचें।

-यदि आपका बच्चा जुखाम/खांसी से पीड़ित है तो स्कूल भेजने से परहेज करें व चिकित्सक को दिखाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *