हेमंत सोरेन 27-28 दिसंबर को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं

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झारखंड विधानसभा चुनाव का जनादेश झामुमो-कांग्रेस-राजद महागठबंधन के पक्ष में आया है। स्पष्ट बहुमत के साथ झारखंड के अगले मुख्‍यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन का राजतिलक तय हो गया है। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है। हेमंत सोरेन 27-28 दिसंबर को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंत्रीमंडल में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस से पांच-पांच मंत्री होंगे। हेमंत सरकार में लालू की पार्टी राजद से भी एक मंत्री को रखा जाना है। इससे पहले मंगलवार को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने मंगलवार को पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में कांग्रेस और झामुमो से पांच-पांच और राजद से एक मंत्री रखे जाने की संभावना है। झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल की रांची में होने वाली बैठक, शिबू सोरेन के आवास पर सुबह 11 बजे शुरू होगी।

मोरहाबादी मैदान में शपथ ग्रहण की तैयारी

बताया गया है कि राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी शुरू कर दी गई है। यहां खुले मैदान में हेमंत सोरेन मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेंगे। समारोह को यादगार बनाने के लिए झामुमो और महागठबंधन के नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

सभी गैर बीजेपी शासित राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री को आमंत्रण

हेमंत सोरेन के झारखंड के मुख्‍यमंत्री पद पर शपथ लेने के दाैरान समारोह के गवाह सभी गैर बीजेपी शासित राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री और यूपीए के बड़े नेता बनेंगे। झामुमो, राजद और कांग्रेस महागठबंधन की ओर से हेमंत के शपथ ग्रहण समारोह को खास बनाने की मुकम्‍मल तैयारी की जा रही है।

आज लालू प्रसाद से मिलने जाएंगे हेमंत सोरेन

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्‍यक्ष और भावी मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को रांची के रिम्‍स में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात करने जा सकते हैं। बताया गया है कि लालू से मिलकर यहां हेमंत उनका आशीर्वाद लेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। इससे पहले हेमंत ने जीत के लिए लालू प्रसाद और सोनिया, राहुल गांधी का आभार जताया था।

जमशेदपुर पूर्वी से 15883 वोट से हारे मुख्यमंत्री रघुवर दास, सरयू राय ने किया पराजित

तेजी से राज्यों की सत्ता खो रही भाजपा के हाथ से सोमवार को झारखंड भी फिसल गया। राज्य में आए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भाजपा के 65 प्लस के दावे की हवा निकाल दी। जनादेश महागठबंधन के पक्ष में आया है। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनकी अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन के सीटों का आंकड़ा बहुमत के जादुई आंकड़े 41 को पार कर 47 तक पहुंच गया। इनमें झामुमो के खाते में 30 और कांग्रेस के हिस्से में 16 सीटें आईं, जबकि राजद को एक सीट मिलीं। वहीं भाजपा 25 सीटों पर सिमट गई।

महागठबंधन की आंधी में सबकी हवा टाइट

महागठबंधन की आंधी ने भाजपा के साथ-साथ आजसू की भी हवा निकाल दी है। आजसू के खाते में दो सीटें आईं, जबकि बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली झारखंड विकास मोर्चा के हिस्से तीन सीटें आईं। वहीं दो सीटों पर निर्दलीय और एक-एक सीट पर भाकपा माले व एनसीपी को जीत मिली है। सियासत की हवा के बदले रुख में मुख्यमंत्री रघुवर दास भी अपनी परंपरागत सीट जमशेदपुर पूर्वी से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सरयू राय से 15883 वोट से हार गए, जबकि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव को भी सिसई सीट से हार का सामना करना पड़ा। इनके अलावा मंत्री लुईस मरांडी, राज पालिवार, रामचंद्र सहिस को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। वहीं भाजपा के अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ भी चक्रधरपुर से चुनाव हार गए।

सीएम रघुवर दास ने ली हार की नैतिक जिम्‍मेवारी

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में भाजपा की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अगली सरकार बनने तक वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में बने रहेंगे। ज्ञात हो कि 20 दिसंबर को चुनाव संपन्न हो जाने के बाद एक्जिट पोल में महागठबंधन को बढ़त दिखाई गई थी। सोमवार को जब मतगणना शुरू हुई तो आरंभ में भाजपा और विपक्षी महागठबंधन की सीटें लगभग बराबर थीं, लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते परिणाम बदलने लगा। भाजपा अपने गढ़ में पिछडऩे लगी, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आश्चर्यजनक परिणाम लाने में कामयाबी पाई। झारखंड मुक्ति मोर्चा की सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने भी 16 सीटों पर कब्जा जमाया।

ऐसा रहा परिणाम

विपक्षी महागठबंधन – 47

(झामुमो 30, कांग्रेस 16, राजद 1)

भाजपा – 25

झाविमो – 03

आजसू – 02

एनसीपी – 01

भाकपा माले- 01

निर्दलीय – 02

किसे कितने वोट

दल          2014       2019

भाजपा –     31.26      33.37

झामुमो –     20.43       18.72

कांग्रेस –     10.46        13.88

झाविमो –   09.99           05.45

आजसू –   03.68            08.10

गठबंधन की जीत के पांच फैक्टर

  1. -चुनाव पूर्व गठबंधन।
  2. -सीटों का बेहतर बंटवारा।
  3. -स्वतंत्र तरीके से चुनाव प्रचार।
  4. -आधार वोट को साथ बनाए रखना।
  5. -साथी दलों में समन्वय।

भाजपा की हार के पांच फैक्टर

  1. -घर-घर रघुवर दास अभियान पड़ा भारी।
  2. -सरयू राय के टिकट कटने का गलत संदेश।
  3. -आदिवासी मतदाताओं की दूरी।
  4. -सीटिंग विधायकों का टिकट काटना भारी।
  5. -टिकटों के बंटवारे में गड़बड़ी

पांच चुनौतियां सरकार की

  1. -बेरोजगारों को रोजगार भत्ता।
  2. -ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण।
  3. -किसानों की कर्ज माफी।
  4. -बालिकाओं की पीजी तक मुफ्त शिक्षा।
  5. -बड़े पैमाने पर रोजगार-स्वरोजगार का सृजन।

पांच राष्ट्रीय प्रभाव

  1. -भाजपा के हाथ से एक राज्य फिसला।
  2. -बिहार और दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव पर असर।
  3. -हेमंत सोरेन राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी चेहरा बनकर उभरे।
  4. -भाजपा को तलाशने होंगे नए मुद्दे।
  5. -भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता का पैगाम।

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