उत्तराखंड: में जंगली जानवर लोगों के लिए आफत बनते जा रहे है

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में जंगली जानवर लोगों के लिए आफत बनते जा रहे हैं। कहीं गुलदार का आतंक है तो कहीं हाथी उत्पात मचा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने वन विभाग से कारगर उपाय करने की मांग की।

पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल क्षेत्र में इन दिनों गुलदार का आतंक है। नरभक्षी गुलदार यहां ग्रामीणों को निवाला बना रहा है। प्रदेश कांग्रेस ने मुख्य वन संरक्षक से गुलदार को मारने की मांग की है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव कविंद्र इष्टवाल ने बताया कि चौबट्टाखाल क्षेत्र में पिछले कुछ समय से नरभक्षी गुलदार का आतंक है।

गुलदार शाम के समय अकेले घूम रहे ग्रामीणों पर हमला कर उन्हें निवाला बना रहा है। बताया कि बीती 25 जनवरी को रिखणीखाल ब्लॉक की पोखड़ा रेंज के अंतर्गत अंगड़ी गांव निवासी प्रवीण सिंह एक शादी समारोह से लौट रहे थे, जिन पर गांव के पास ही एक गुलदार ने हमला कर निवाला बना लिया।

इसके अलावा भी गुलदार के हमले में क्षेत्र में कई अन्य लोग भी घायल हो चुके हैं। स्थानीय लोगों के वन विभाग से शिकायत करने के बावजूद कोई राहत नहीं मिल रही है। इस पर कांग्रेस ने मुख्य वन संरक्षक से कार्रवाई की मांग की है। कविंद्र इष्टवाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों के आतंक के कारण लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। वन विभाग की ओर से जंगली जानवरों पर अंकुश लगाने को प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि फसलों को वन्य जीवों के बर्बाद कर देने के कारण किसान खेती करने से भी कतरा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि गांव के आसपास वनों को साफ किया जाए। ताकि जंगली जीव झाड़ियों का सहारा लेकर गांव के आसपास लोगों पर हमला न करें।

साथ ही उन्होंने जंगली जानवरों के हमले में मृत व घायलों के स्वजनों को 20-20 लाख मुआवजा देने की भी मांग की है। शिकायती पत्र में कांग्रेस नेता कमर ताबी, संदीप कुमार, सुनील सिंह, संदीप चमोली, प्रिंस शर्मा, आयुष सेमवाल आदि के हस्ताक्षर हैं।

चौरासी कुटिया में हाथियों ने मचाया उत्पात

ऋषिकेश स्थित विश्व प्रसिद्ध चौरासी कुटिया में बीते कुछ रोज से हाथियों ने उत्पात मचा रखा है। यहां हाथियों ने चौरासी कुटिया की दीवारों को कई जगहों पर क्षतिग्रस्त कर दिया है। हालांकि यहां जंगली जानवरों को रोकने के लिए बैटरी चालित ऊर्जा बाढ़ लगाई गई है। मगर, सोलर पैनल तक धूप नहीं पहुंचती। इस कारण तारों में करंट नहीं है।

पिछले पांच दिनों से नीलकंठ पैदल मार्ग की ओर से हाथी चौरासी कुटी में प्रवेश कर रहे हैं। यहां दीवार चार पांच जगह तोड़ दी गई है। सुबह दस बजे हाथी इसी क्षेत्र में देखा गया। उसने पिछला गेट भी तोड़ दिया है। हाथी व वन्य जीव को रोकने के लिए यहां सोलर ऊर्जा बाढ़ लगाई गई है। उसका भी लाभ नहीं मिल रहा है।

वन्यजीव प्रतिपालक एलपी टम्टा ने चौरासी कुटिया क्षेत्र का निरीक्षण किया। हाथियों द्वारा तोड़ी गई दीवारों के बारे में वन क्षेत्राधिकारी धीर सिंह से जानकारी ली। उन्होंने बताया कि चौरासी कुटिया की दीवार के साथ चलने वाले नेचर ट्रेल पर पर्यटकों की आवाजाही को रोका जाएगा। उक्त हाथी दीवार के आसपास ही विचरण कर रहा है।

इसको देखते ही रेंज अधिकारी व चौरासी कुटिया की सुरक्षा में तैनात वन कर्मियों को उक्त ट्रेल पर पर्यटकों की आवाजाही रोकने के आदेश दे दिए गए है। साथ ही चौरासी कुटिया की दीवारों को हुए नुकसान से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।

भालू के आतंक से ग्रामीण परेशान 

यमकेश्वर प्रखंड के कुछ गांवों में भालू का आतंक बढ़ता जा रहा है। पहले भेलडूंगा में इस भालू ने कुछ मवेशी मारे थे। मंगलवार की देर रात भालू ने कुमरण गांव में विजयपाल कपरवान की गौशाला तोड़कर तीन गोवंश मार दिए। इससे कमरण, भेल डूंगा, पैयां आदि गांव के लोग दहशत में है। वन विभाग की लालढांग सिविल रेंज के वन क्षेत्राधिकारी वीरेंद्र पाल ने बताया कि क्षेत्र में दो टीम पहले से भेजी गई है। कुमरण गांव को भी टीम रवाना की जा रही है।

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