जल्द हल हो सकता है यूपी-उत्तराखंड के बीच परिवहन परिसंपत्तियों का मसला

उत्तराखण्ड

देहरादून। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच परिवहन निगम की परिसंपत्ति के बंटवारे को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्रीय परिवहन सचिव ने 23 अगस्त को दोनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक बुलाई है। इससे पहले इस प्रकरण में केंद्रीय सचिव पिछले वर्ष दो बैठक ले चुके हैं। पिछले साल 28 फरवरी और 16 मार्च को हुई इन दो बैठकों में तय हुआ था कि उत्तर प्रदेश अक्टूबर-2003 में दोनों राज्यों में हुए समझौते पर उत्तराखंड रोडवेज को भुगतान करेगा। इस समझौते के अनुसार उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड को चारों परिसंपत्ति के मौजूदा बाजार भाव का 13.34 फीसद भुगतान देना होगा, जो 250 करोड़ रुपये से ऊपर बताया जा रहा। उत्तर प्रदेश यह राशि देने को राजी नहीं। वह 20-22 करोड़ में मामला समाप्त करना चाहता है, जिसके लिए उत्तराखंड भी राजी नहीं। अब मामला एक बार फिर केंद्र सरकार के पाले में है।

परिसंपत्तियों के बंटवारे का मामला गुजरे 18 साल से लंबित है। दो साल पहले इस में उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 24 फरवरी-2020 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार को एक माह में इस प्रकरण का सकारात्मक हल निकालने के आदेश दिए थे। मामले में 28 फरवरी-2020 को नई दिल्ली में केंद्रीय परिवहन सचिव ने उत्तर प्रदेश के परिवहन निगम के अधिकारियों को 15 मार्च-2020 तक बंटवारे का प्रस्ताव देने का निर्देश दिया था।

16 मार्च को केंद्रीय परिवहन सचिव ने फिर दोनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक ली। अब पिछले पांच माह से हाईकोर्ट में लगातार उत्तराखंड के रोडवेजकर्मियों के वेतन व परिसंपत्ति के मामले में सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़े आदेश दिए हैं कि इस मामले का निस्तारण किया जाए।

इसी संबंध में केंद्रीय परिवहन सचिव ने 23 अगस्त सोमवार को उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव परिवहन व रोडवेज के प्रबंध निदेशकों की बैठक बुलाई है। उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डा. नीरज खैरवाल ने बताया कि मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है और हाईकोर्ट के आदेश पर ही केंद्रीय परिवहन सचिव द्वारा 23 अगस्त को दोनों राज्यों के अधिकारियों की वर्चुअल बैठक बुलाई गई है।

यह हैं चार परिसपंत्तियां

उत्तराखंड ने चार परिसंत्तियों पर अपनी हिस्सेदारी जताई हुई है। इसमें कानपुर में परिवहन निगम की दो केंद्रीय कार्यशाला, लखनऊ में परिवहन मुख्यालय समेत कार सेक्शन और दिल्ली अजमेरी गेट पर संपत्ति शामिल हैं। चारों परिसंपत्तियों में उत्तराखंड की हिस्सेदारी 13.34 फीसद बताई जा रही है।

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