भारत में बरसने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रारंभिक चरण में बहुत धीमा रहा है जिसके चलते अब तक होने वाली बारिश में 43 फीसद की कमी दर्ज की गई।

national

नई दिल्ली । मानसून की धीमी चाल के बावजूद जून के आखिरी सप्ताह में अच्छी बारिश का अनुमान है, जो खरीफ फसलों की बोआई के लिए उचित समय होगा। मौसम एजेंसी स्काईमेट के पूर्वानुमान के मुताबिक जुलाई के पहले पखवाड़े में मानसून की झमाझम बारिश हो सकती है। भारत में बरसने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रारंभिक चरण में बहुत धीमा रहा है, जिसके चलते अब तक होने वाली बारिश में 43 फीसद की कमी दर्ज की गई। मानसूनी बादलों की चाल भी संतोषजनक नहीं रही है। स्काईमेट के आंकड़ों के मुताबिक जून के पहले पखवाड़े में मध्य भारत, जहां की खेती वर्षा पर ही आधारित होती है, में 58 फीसद तक कम बारिश हुई। पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत में 45 फीसद तक कम बारिश दर्ज की गई। जबकि दक्षिण-पश्चिम भारत में 21 फीसद कम बरसात हुई है।

पूर्वी-मध्य भारत में अच्छी बारिश होगी
स्काईमेट के एमडी जतिन सिंह के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में मानसूनी हवाओं की जो स्थितियां बनी हैं उससे पूर्वी और मध्य भारत क्षेत्र में अच्छी बारिश की संभावना है। किसानों के लिए खरीफ सीजन की फसलों की बोआई के लिए जून के आखिरी सप्ताह से उचित समय है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के किसानों को अगले सप्ताह से शुरू होने वाली मानसूनी बारिश से फसलों की बोआई का लाभ मिल सकता है। यहां के किसानों के लिए यह बरसात किसी वरदान से कम नहीं होगी।

सोयाबीन की सिंचाई नहीं करने की सलाह
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहां सिर्फ दो दिनों की बारिश के बाद भी तापमान 40 डिग्री सेल्यिस के आसपास रहने का अनुमान है। इस तरह के मौसम में जहां सोयाबीन की बोआई हो चुकी है, उन्हें सिंचाई नहीं करनी चाहिए। बिहार और झारखंड में धान की रोपाई का समय है, जहां बारिश जमकर होगी। इससे धान की फसल को लाभ होगा। पंजाब और हरियाणा में 21 से 30 जून के बीच रुक-रुक कर अच्छी बारिश हो सकती है, जिसका लाभ यहां के किसानों को धान की रोपाई में मिल सकता है।

मुंबई में 25 जून को भारी बारिश का अनुमान
मुंबई में भी 25 जून को भारी बारिश हो सकती है। यह इस मानसून सीजन की सबसे बड़ी बरसात हो सकती है। अगर मुंबई प्रशासन पहले से सतर्क हो जाता है तो मुंबई के लोगों लिए आगामी सप्ताह शानदार रहेगा। अन्यथा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

91 जलाशयों का जल स्तर घटा
स्काईमेट के मुताबिक देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कम बारिश का सबसे बुरा असर जलाशयों पर पड़ा है। देश के प्रमुख 91 जलाशयों का जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। इसका असर यहां के जनजीवन पर पड़ा है। विशेषतौर पर केंद्रीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुल 12 बड़े जलाशय हैं, जिनका जलस्तर पर नीचे खिसक गया है। पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों के जलाशयों में भी जलस्तर पिछले 10 साल के औसत जल स्तर से नीचे हो गया है।

देश में कुल 91 बड़े जलाशय हैं जिनके जलस्तर और भंडारण की जानकारी हर गुरुवार को केंद्रीय जल आयोग जारी करता है। ये जलाशय सिंचाई, पेयजल और पनबिजली उत्पादन करके क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अहम हिस्सा होते हैं। हालिया 13 जून की जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के सभी जलाशयों में इस समय 29.18 अरब घन मी पानी है जो उनकी कुल भंडारण क्षमता का सिर्फ 18 फीसद है। हालांकि पिछले साल के इसी सप्ताह के मुकाबले भंडारण की समग्र स्थिति अच्छी है लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह स्थिति काफी दयनीय है।

पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में बुरा हाल
देश के पश्चिमी हिस्से में 27 बड़े जलाशय हैं। जो गुजरात और महाराष्ट्र की जल जरूरतें पूरी करते हैं। इनकी कुल क्षमता का 10 फीसद पानी इनमें शेष है। जबकि इस समय तक सामान्य भंडारण का औसत 17 फीसद है। महाराष्ट्र के 68 फीसद जलाशयों में सामान्य के कम भंडारण है। दक्षिण के पांच राज्यों में कुल 31 जलाशय हैं जो अपनी क्षमता का महज 11 फीसद भरे हैं। इनकी अब तक की सामान्य भंडारण स्थिति 15 फीसद होती है।

शेष हिस्सों में सामान्य स्थिति देश के उत्तरी क्षेत्रों (हिमाचल, पंजाब), पूर्वी क्षेत्रों (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा) और मध्य प्रदेश के जलाशयों की स्थिति ठीक है। यहां के जलाशयों में पानी औसत के अनुरूप है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *