नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश का पार्थिव शरीर कांग्रेस भवन स्वराज आश्रम लाया गया, मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजिल

उत्तराखण्ड

हल्द्वानी, नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा हृदेयश के निधन के बाद अंतिम दर्शन को सुबह से नैनीताल रोड स्थित उनके आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। सीएम तीरथ सिंह रावत, कैबिनेट मिनिस्टर बंसीधर् भगत, अरविंद पांडे, राज्यमंत्री रेखा आर्य, नवीन दुम्का, समेत अन्य बड़े नेता भी अंतिम दर्शन को पहुँचे थे। इस दौरान सीएम ने कहा कि इंदिरा हृदेयश का व्यक्तित्व ऐसा था कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठ विकास के लिए लड़ती थी। उनका निधन एक बड़ी क्षति है। राज्य सरकार पूरी कोशिस करेगी कि उनके अधूरे सपनों को पूरा किया जाएगा।

राजनैतिक और गैर राजनैतिक सभी पहुँचे: नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदेयश को श्रद्धांजलि देने के लिए भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओं का घर पहुँचने का सिलसिला जारी था। बीजीपी प्रदेश अध्य्क्ष मदन कौशिक व पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय भी शोक जताने पहुँचे थे। जिला पंचायत अध्य्क्ष बेला तोलिया, पूर्व सांसद बलराज पासी, भाजपा संग़ठन मंत्री सुरेश भट्ट, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल, राहुल छिमवाल, बड़ी संख्या में पार्षद, समेत राजनैतिक व गैर राजनैतिक संगठनों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में आवास पर मौजूद थे।

दो बार कैबिनेट मिनिस्टर रहते हुए अपनों कामों की वजह से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई थी। वहीं, सड़क मार्ग से उनका पार्थिव शव रविवार रात हल्द्वानी पहुंच गया था। रास्ते में जगह-जगह कार्यकर्ताओं ने वाहन रोक उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित भी की। देर रात तक उनके घर में समर्थकों व सामाजिक व अन्य संगठनों के लोगों के आने का सिलिसिला जारी था। कांग्रेस के प्रदेश सचिव मयंक भट्ट ने बताया कि सुबह कुछ देर के लिए पार्थिव शव के दर्शन को स्वराज आश्रम में लाया जाएगा। उसके बाद रानीबाग स्थित चित्रशीला घाट को अंतिम यात्रा रवाना होगी।

इंदिरा के नारों से गूंज उठी सड़क

समर्थकों की भीड़ देख पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी व्यवस्था बनाने में जुटे थे। नैनीताल रोड पर दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी थी। जिसके बाद पुलिस ने आवास की तरफ बैरिकेड लगा लोगों से पैदल ही आने की अपील की। वहां नेता प्रतिपक्ष जिंदाबाद-अमर रहे के नारे सड़क तक गूंज रहे थे।

अब हमारी कौन सुनेगा

आवास व स्वराज आश्रम में बड़ी संख्या में लोग नेता प्रतिपक्ष के अंतिम दर्शन को पहुँचे थे। उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करते ही सभी की आंखें नम थी। उनका कहना था कि अब हमारी कौन सुनेगा।

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