Friday, May 17, 2024

देशभर के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल

national
देशभर के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल आज भी जारी, मेडिकल छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली,  राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) बिल के विरोध में देशभर में रेजि़डेंट डॉक्टर शनिवार को भी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज(AIIMS) के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन एंड स्टूडेंट्स यूनियन ने इसको लेकर एक प्रेस रिलीज जारी किया। AIIMS के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कहा है वह हम एनएमसी बिल के कुछ प्रावधानों के खिलाफ चल रहा अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने के अपने फैसले पर अडिग हैं। हालांकि तत्काल प्रभाव से एम्स में फिर से आपातकालीन सेवाएं(Emergency Services) शुरू हो गई हैं।

View image on TwitterView image on TwitterView image on Twitter

डॉक्टरों का आरोप है कि एनएमसी बिल के खिलाफ एसोसिएशन ने कोई स्टैंड नहीं लिया जिसकी वजह से सरकार बिल को पास कराने में सफल हो गई। बता दें कि रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध के बीच बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार राज्यसभा में एनएमसी बिल 2019 को पास कराने में सफल हो गई। जबकि यह बिल 29 जुलाई को लोकसभा में पहले ही पास हो चुका था।

एक लाख मरीज प्रभावित
रेजिडेंट डॉक्टरों की इस हड़ताल से करीब एक लाख मरीज प्रभावित हुए और 3300 से ज्यादा मरीजों की सर्जरी टाल दी गई। सैकड़ों मरीजों की जांचे नहीं हो पाईं।

ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में ठप रही ओपीडी
दिल्ली सरकार के करीब 34 अस्पताल हैं। जिनमें से पांच स्वायत्तशासी अस्पतालों को छोड़कर सभी 29 अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की। इन अस्पतालों में ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप रही। दिल्ली सरकार के इन अस्पतालों को प्रतिदिन ओपीडी में करीब 65 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जो हड़ताल के कारण वापस लौटने को मजबूर हुए। अस्पतालों में दवा फार्मेसी व ऑपरेशन थियेटर भी बंद रहे। यही हाल नगर निगम के अस्पतालों का रहा।

पांच बड़े अस्पतालों की ओपीडी में मौजूद रहे वरिष्ठ डॉक्टर
एम्स, सफदरजंग, आरएमएल व लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज के कलावती शरण व सुचेता कृपलानी अस्पताल की ओपीडी में वरिष्ठ डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद रहे, लेकिन इन अस्पतालों में सामान्य दिनों के मुकाबले 50 फीसद कम मरीज देखे गए। एम्स में पहले से ऑनलाइन समय लेने वाले मरीजों का ही इलाज हुआ। एम्स में प्रतिदिन करीब 13 हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से करीब साढ़े सात हजार मरीज इलाज के बिना लौटे, क्योंकि जिन लोगों ने पहले से डॉक्टर से मिलने का समय नहीं लिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *