बिजली चोरी में जेई और एसएसओ सस्पेंड, एक की सेवा समाप्त

उत्तराखण्ड

देहरादून। गदरपुर में अब तक की सबसे बड़ी बिजली चोरी पकड़ी गई है। यहां यशोदा फ्लोर मिल मालिक की ओर से 11 केवी लाइन से अपने निजी ट्रांसफार्मर को जोड़कर महीनों से बिजली चोरी की जा रही थी। विजिलेंस की कार्रवाई के बाद ऊर्जा निगम ने प्रथम दृष्ट्या बिजली चोरी में संलिप्तता सामने आने पर एक जेई और एसएसओ को संस्पेंड कर दिया है। जबकि सेल्फ हेल्प ग्रुप के एक एसएसओ की सेवा समाप्त कर दी गई है। चोरी में विभाग के अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत की भी जांच की जा रही है।

ऊर्जा निगम को लगातार सूचना मिल रही थी कि गदरपुर के यशोदा फ्लोर मिल में कई महीनों से बिजली चोरी की जा रही है। शिकायत पर प्रारंभिक जांच की गई तो सूचना सही पाई गई। जिसके बाद संबंधित क्षेत्र के एडीओ अंविका यादव के नेतृत्व में ऊर्जा निगम और विजिलेंस की टीम गठित की गई। टीम ने 20 अप्रैल की रात को मिल में छापा मारा तो वहां लगभग 100 किलोवाट बिजली चोरी पकड़ में आई।

यशोदा फ्लोर मिल के मलिक अजय पांडेय द्वारा सीधे 11 केवी विद्युत लाइन में अपना निजी 800 एमवीए का ट्रांसफार्मर जोड़कर कई महीनों से रात के समय बिजली चोरी की जा रही थी। पूरी रात और 21 अप्रैल सुबह तक चली कार्रवाई में निगम और विजिलेंस टीम ने ट्रांसफार्मर जब्त करने के साथ ही मिल का कनेक्शन काट दिया और वहां से 11 केवी की 90 मीटर केबिल भी बरामद की।

उधर, बिजली चोरी में संलिप्तता सामने आने के बाद ऊर्जा निगम ने जूनियर इंजीनियर महेंद्र कुमार, एसएसओ नारायण सिंह को निलंबित कर दिया। जबकि सेल्फ हेल्प गु्रप के एसएसओ उमेश कुमार की सेवा समाप्त कर दी। ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने कहा कि इस मामले में कुछ और कर्मचारियों की भूमिका भी उजागर हो सकती है। इसलिए जांच कराई जा रही है।

एसडीओ पर भी कार्रवाई तय

मामले में संबंधित क्षेत्र के एसडीओ गिरीश चंद आर्य की भूमिका भी संदिग्ध पाई है। निगम उन पर भी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। चूंकि इसका अनुमोदन शासन से होना है, इसलिए निगम ने अनुमोदन के लिए फाइल शासन को भेज दी है।

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