रोज नए जमाती पकड़ में आ रहे, अब तक 94 जमातियों को पकड़ कर किया क्वारंटाइन

उत्तराखण्ड

अगर दून में जमाती न होते तो आज हम कह सकते थे कि यहां कोरोना संक्रमण शून्य हो चुका है। क्योंकि छह लोगों के ठीक हो जाने के बाद बचे 12 मामलों में आठ जमाती हैं और बाकी के चार उनके संपर्क में आए लोग। ऐसा भी नहीं है कि जमातियों की चुनौती यहीं तक है। रोज नए जमाती पकड़ में आ रहे हैं और अब भी कितने कहां छिपे बैठे हैं, कुछ पता नहीं। रविवार को चलाए गए सघन अभियान में 94 जमातियों को अलग-अलग क्षेत्रों से पकड़ा गया।

कोरोना के जिला निगरानी एवं नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान ने बताया कि पकड़े गए सभी 94 जमातियों को संस्थागत क्वारंटाइन में भेज दिया गया है। यहां चिकित्सकीय दल इनके स्वास्थ्य पर नजर रखेगा। जिससे जरूरत पड़ने पर इनके सैंपल भी लिए जा सकें। साथ ही इनके संपर्क में आए लोगों की पड़ताल शुरू कर दी गई है। जो लोग सामने आएंगे, उन्हें भी होम या संस्थागत क्वारंटाइन में रखा जाएगा।

मस्जिद में नमाज पढ़ने पर मुकदमा

हरिद्वार के बहादराबाद में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग एक मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंच गए। इसकी भनक पुलिस को लगी तो मौके पर पहुंचकर सभी को वहां से भगाया। मामले में बहादराबाद थाने में छह लोगों के खिलाफ आपदा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि अस्पतालों में भर्ती और क्वारंटाइन में रखे गए जमातियों के संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है। शनिवार तक 45 जमातियों पर 18 मुकदमे दर्ज हुए थे। रविवार को स्थिति सामान्य रही। हालांकि, बहादराबाद के बौंगला गांव में रविवार को कुछ लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंच गए। ग्रामीणों की सूचना पर बहादराबाद थाने से फोर्स मौके पर पहुंची तो कई नमाजी भाग खड़े हुए। पुलिस ने नमाज पढ़ने वाले लोगों के नाम-पते जुटाने के बाद तबस्सुम, तालिब, बिलाल, इकबाल व दो अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। तीन दिन पहले कटारपुर में नमाज अदा करने पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।

आठ लोगों में मिले लक्षण

जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि शिक्षकों, आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से कराया जा रहा कम्युनिटी सर्विलांस लगातार जोर पकड़ रहा है। अब तक एक लाख 28 हजार लोगों का सर्वे किया जा चुका है। रविवार को निगरानी टीम को विकासनगर क्षेत्र में आठ लोगों में खांसी-जुकाम के साथ कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण मिले हैं। चिकित्सा दल को इसकी सूचना दी गई है। इन लोगों के सैंपल लेकर जांच को भेजे जाएंगे।

कम्युनिटी सर्विलांस की स्थिति

  • 09 अप्रैल तक——66281
  • 10 अप्रैल————73073
  • 11 अप्रैल————98206
  • 12 अप्रैल———–128774

117 ने ली खांसी-जुकाम की दवा

जिला प्रशासन के बिना डॉक्टर की पर्ची के खांसी-जुकाम की दवा न देने के आदेश के बाद से ऐसे लोगों का ब्योरा भी मिलने लगा है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर ऐसे लोगों की निगरानी आसान हो गई है। रविवार को मिली जानकारी के मुताबिक 117 लोगों को डॉक्टर की पर्ची पर दवा दी गई। इन लोगों के नाम, पता व मोबाइल नंबर मुख्य चिकित्साधिकारी को भेजे गए हैं। अब इनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जाएगी।

राहत शिविर में 581 लोगों का परीक्षण

लॉकडाउन में दून में फंसे विभिन्न प्रदेशों के 581 लोगों को 25 अलग-अलग राहत शिविरों में रखा गया है। इन सभी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। अभी किसी में भी संदिग्ध लक्षण सामने नहीं आए हैं। वहीं, जैन धर्मशाला में ठहरे 41 दैनिक श्रमिकों की मनोवैज्ञानिक तरीके से काउंसिलिंग की गई। ये लोग बिना रोजगार के अपने घरों से दूर परेशान दिख रहे थे।

आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने की अपील

अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण रिधिम अग्रवाल ने आम नागरिकों से आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की ओर से आपको सुरक्षित रखने का प्रयास है। मोबाइल का ब्लूटूथ और जीपीएस ऑन करते ही यह एप सक्रिय होकर आपके आसपास मौजूद कोरोना संक्रमित के बारे में जानकारी देगा। इसके अलावा यह एप आपके जोखिम स्तर को दिखाता है और सुझाव देता है कि आपको क्या करना चाहिए। आपको ग्रीन में दिखाया जाता है तो मतलब आप सुरक्षित हैं। अगर आपको पीले रंग में दिखाया जाता है तो आपको बहुत जोखिम है, इस दशा में तत्काल हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।

पहाड़ लौटे लोगों को थामने की कवायद

कोरोना संकट के बाद उत्तर और मध्य भारत के विभिन्न हिस्सों से वापस पहाड़ लौटे लोगों को थामने की दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के मुताबिक राज्य के 10 पर्वतीय जिलों के गांवों में लौटे 52,216 लोगों के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़े असर का अध्ययन किया जा रहा है। गांव लौटे लोग यहीं रुककर क्या-क्या कार्य कर सकते हैं और कैसे अर्थव्यवस्था में योगदान कर सकते हैं, इसका भी अध्ययन हो रहा है।

उत्तराखंड के गांवों से मजबूरी का पलायन अधिक है। मूलभूत सुविधाओं और आजीविका के साधनों के अभाव में पर्वतीय क्षेत्र के गांवों से लोगों ने पलायन किया। अब संकट की घड़ी में वे मजबूरी में वापस अपने गांव लौटे हैं। इससे निश्चित रूप से गांवों के बंद पड़े घर फिर से आबाद हुए हैं, लेकिन ये सवाल भी खड़ा हो गया है कि इन लोगों को गांव में ही कैसे थामे रखा जाए। यदि उन्हें उनकी इच्छानुरूप कार्य नहीं मिला तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। वजह ये कि ये लोग पहले भले ही बाहर रह रहे थे, मगर गांवों में रह रहे स्वजनों को समय-समय पर कुछ पैसा तो भेज ही रहे थे। इस सबके दृष्टिगत पलायन आयोग इन दिनों अध्ययन में जुटा हुआ है।

आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी के मुताबिक लॉकडाउन खुलने के बाद जो प्रवासी यहां रुकना चाहेंगे, वे क्या कार्य कर सकते हैं, इसकी कार्ययोजना बननी जरूरी है। जाहिर है कि सरकार को उन्हें कुछ रियायतें देनी होंगी। बताया कि इस कड़ी में अभी तक जिलाधिकारियों से बात हुई है और अब प्रवासियों से भी संपर्क किया जाएगा। आयोग जल्द ही सुझावों सहित रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।

टॉप फाइव जिले

  • जिला————पहुंचे प्रवासी
  • पौड़ी————-12039
  • अल्मोड़ा———-5487
  • टिहरी————–5276
  • चंपावत————-5070
  • पिथौरागढ़————-5035

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