8 साल बाद सरकार को आई शहरों की याद, नए सिरे से बनेगा मास्टर प्लान

उत्तराखण्ड

देहरादून: उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 17 साल से ज्यादा वक्फा गुजरने के बाद सरकार को शहरों की याद आई है। इनमें अव्यवस्थित रूप से हो चुकी बसागत समेत अन्य कारणों को देखते हुए अब राज्य के 92 नगर निकायों के लिए सरकार नए सिरे से मास्टर प्लान की कवायद शुरू करने जा रही है।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने सोमवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि देहरादून के मास्टर प्लान को प्रक्रियात्मक रूप से हाईकोर्ट ने निरस्त किया है। यहां भी नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की नजूल नीति के मामले में भी सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है।

शासकीय प्रवक्ता एवं काबीना मंत्री कौशिक ने कहा कि जब नगर निकायों के लिए मास्टर प्लान बने थे, तब से अब तक की स्थिति काफी बदल चुकी है। कई नए क्षेत्र निकायों में शामिल हुए हैं, जिससे उनका भूगोल बदला है। ऐसे में आवश्यक है कि सभी शहरों के व्यवस्थित एवं नियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान नए सिरे से तैयार किया जाए। इस सिलसिले में कसरत प्रारंभ कर दी गई है।

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि देहरादून के मास्टर प्लान में प्रक्रियात्मक त्रुटि थी और इसी आधार पर हाईकोर्ट ने इसे निरस्त किया। हालांकि, इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई है, लेकिन अब दून में कई क्षेत्र शामिल होने से स्थिति बदली है। लिहाजा, यहां भी नए सिरे से मास्टर प्लान तैयार होगा। कोशिश यह रहेगी कि दून समेत प्रदेश के अन्य शहरों के लिए तैयार होने वाले मास्टर प्लान में किसी प्रकार की प्रक्रियात्मक त्रुटि न रहने पाए।

ड्रेनेज प्लान पर भी फोकस 

देहरादून का ड्रेनेज प्लान 2008 से फाइलों में कैद होने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि न सिर्फ दून बल्कि अन्य शहरों में भी ड्रेनेज प्लान पर फोकस किया जाएगा। हालांकि, बजट के लिहाज से यह खासा महंगा है। देहरादून के ड्रेनेज प्लान को मास्टर प्लान में शामिल किया जाएगा, जबकि अन्य बड़े शहरों में एडीबी के जरिये इसके लिए व्यवस्था की जाएगी।

निकाय एक्ट को भी कसरत 

शहरी विकास मंत्री ने कहा कि निकायों के लिए अपना एक्ट तैयार करने की कड़ी में पूर्व में एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अन्य राज्यों के निकाय एक्ट को लेकर अध्ययन किया है। जल्द ही इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव के बाद ही एक्ट अस्तित्व में आ पाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *