उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के 18 साल बाद भी लाइसेंसी हेलीपैड नहीं

उत्तराखण्ड

देहरादून,उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के 18 साल बाद भी प्रदेश में एक भी लाइसेंसी हेलीपैड नहीं है। यहां से नियमित हेली सेवाओं की सुविधा न होने के कारण इसकी जरूरत भी महसूस नहीं की गई। अब प्रदेश में उड़ान योजना के तहत हेली सेवाओं का संचालन किया जाना है। बिना लाइसेंसी हेलीपैड के ये सेवाएं शुरू नहीं की जा सकती। इसे देखते हुए अब हेलीसेवाओं के प्रस्तावित क्षेत्रों में हेलीपैड का लाइसेंस लेने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए इन प्रस्तावित क्षेत्रों में यात्री सुविधाओं से संपन्न हेलीपैड बनाए जाएंगे।

प्रदेश में इस समय 50 से अधिक हेलीपैड बने हुए हैं मगर इनमें से कोई भी लाइसेंसी नहीं हैं। दरअसल, प्रदेश में इस समय कहीं कोई नियमित हेली सेवा नहीं है। चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ व हेमकुंड साहब के लिए भले ही नियमित हेली सेवाएं संचालित होती हैं लेकिन ये सीमित समय के लिए होती हैं। महानिदेशक नागरिक उड्डयन कार्यालय से हेलीपैड का निरीक्षण का समय विशेष के लिए अस्थायी लाइसेंस जारी किए जाते हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री अथवा महत्वपूर्ण व्यक्तियों के प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर हवाई यात्रा करने के लिए डीजीसीए से फौरी अनुमति ले ली जाती है।

दरअसल, हेलीपैड का लाइसेंस उसी सूरत में दिया जाता है जब किसी हेलीपैड से नियमित हवाई सेवाएं संचालित हो रही हैं। लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले ऐसे हेलीपैड में यात्रियों के लिए ठहरने की व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, शौचालय, पेयजल, एक्सरे मशीन और सुरक्षा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होता है। इन सभी व्यवस्थाओं के बाद ही लाइसेंस जारी किया जाता है।

अब प्रदेश को भी हेलीपैड का लाइसेंस लेने की जरूरत महसूस हो रही है। कारण उड़ान योजना के तहत देहरादून, मसूरी, टिहरी, गौचर, उत्तरकाशी, मुनस्यारी, अल्मोड़ा, बागेश्वर व धारचूला आदि से नियमित हवाई सेवाएं प्रस्तावित हैं। ये सेवाएं तभी शुरू होंगी जब यहां हेलीपैड लाइसेंस लेने के मानकों को पूरा करेंगे। इसके लिए तैयारी शुरू की जा रही है।

सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर का कहना है कि उड़ान योजना के तहत हेलीपैड बनाए जाने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही हैं। जल्द ही इन्हें मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *