सियासी उठापटक के बीच पायलट ने कहा- मैं भाजपा में शामिल नहीं होंगे

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राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच सबकी नजरें सचिन पायलट पर टिकी हुई है। इसी बीच उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने यह बात समाचार एजेंसी एएनआइ से कही है। उन्होंने इसे लेकर कहा, ‘ राजस्थान में कुछ नेताओं ने अटकलों को हवा देने की कोशिश की कि मैं भाजपा में शामिल हो रहा हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रहा हूं। मैंने राज्य में कांग्रेस को सत्ता वापस लाने के लिए बहुत मेहनत की है।’

गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनको पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया है, लेकिन करीबियों का कहना है कि पायलट अपना अलग मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं। इससे पहले कांग्रेस ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए पायलट को उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया, लेकिन पार्टी से बाहर नहीं किया गया। यानी पार्टी छोड़ने होने की औपचारिकता खुद उन्हें करनी है। इस दौरान पायलट के दो समर्थक मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।

राज्य पार्टी इकाई के सभी प्रकोष्ठों और विभागों को कांग्रेस ने किया भंग

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव और राजस्थान के पार्टी प्रभारी अविनाश पांडे ने राज्य पार्टी इकाई के सभी प्रकोष्ठों और विभागों को भंग कर दिया। ट्विटर पर पांडे ने मंगलवार देर रात इस फैसले की जानकारी दी। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि कोई भी कांग्रेसी नेता राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अनुमति के बिना मीडिया से संवाद नहीं करेगा।

भाजपा ने बुलाई बैठक, वसुंधरा राजे भी शामिल होंगी 

बता दें कि भाजपा नेताओं ने भले ही पायलट का स्वागत करने की बात तो कही है, लेकिन भाजपा भी इस मामले में हर कदम फूंक फूंक कर रखेगी। राजस्थान में पार्टी के पास पहले ही बहुत से कद्दावर नेता हैं। ऐसे में कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता है। इसी के मद्देनजर राजस्थान में भाजपा ने आज बैठक बुलाई है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल होंगी।

पायलट को लेकर भाजपा ने क्या कहा

पायलट को लेकर राजस्थान के भाजपा नेताओं ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी के दरवाजे किसी भी व्यक्ति के लिए खुले हैं, जो उसकी विचारधारा पर भरोसा व्यक्त करते हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ‘अगर कोई भी बड़ा जनाधार वाला व्यक्ति भाजपा या किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होता है, तो हर कोई उसका स्वागत करता है। हमारी विचारधारा पर भरोसा जताते हुए अगर कोई भी हमारे साथ आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।’

30 विधायकों के साथ का दावा

सचिन पायलट ने पिछले दो दिनों में अपने साथ कुल 30 विधायक होने का दावा किया है। हालांकि, उनके समर्थकों द्वारा जारी एक वीडियो में 16 विधायक नजर आए हैं। अगर 30 विधायक भी सरकार से अलग होते हैं तो भी गहलोत सरकार पर कोई तात्कालिक खतरा नहीं है, क्योंकि 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के अकेले 107 सदस्य हैं और उसका दावा निर्दलीयों समेत 18 अन्य विधायकों के समर्थन का है। भाजपा के 72 विधायक हैं और उसके साथ तीन विधायकों का एक अन्य समूह है।

सड़क पर उतरे समर्थक, हाई अलर्ट

सचिन पायलट की बर्खास्तगी के बाद मंगलवार को राजस्थान में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। गुर्जर बहुल जिलों दौसा, धौलपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सवाईमाधोपुर व करौली में हाई अलर्ट है। बानसूर में गुर्जर समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक का पुतला फूंका। दौसा में भी प्रदर्शन किया गया।

ऐसे चला घटनाक्रम

सचिन पायलट को संदेश दिया गया कि बगावत छोड़कर आ जाएं तो कांग्रेस पार्टी उनकी शिकायतों पर गौर करेगी। पायलट को मौका देने के लिए जयपुर में विधायक दल की बैठक को कुछ देर टाला भी गया, ताकि पायलट दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर मामला खत्म कर दें। पायलट के अड़े रहने के बाद कांग्रेस ने उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया। उनके दो समर्थक मंत्रियों को भी हटा दिया गया। संगठन से पायलट के अन्य करीबियों को भी हटाया गया है।

क्यों बने ऐसे हालात?

2018 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने से सचिन पायलट मायूस थे। पायलट और उनके समर्थकों का मानना था कि राजस्थान में पार्टी की वापसी का श्रेय पायलट को मिलना चाहिए। धीरे-धीरे यह मतभेद अहम की लड़ाई में तब्दील हो गया।

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