पान की गुमटी से महापौर तक पहुंचे भाजपा नेता गामा, जानिए उनका ये सफर

उत्तराखण्ड राजनीतिक

देहरादून। देहरादून नगर निगम से महापौर पद पर रिकॉर्ड 35 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल करने वाले भाजपा नेता सुनील उनियाल गामा के अब तक के सफर को लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़कर देख रहे हैं। यह जुड़ाव स्वाभाविक भी है। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दौर में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे, उसी तरह गामा करीब 37 साल पहले पान की दुकान चलाते थे। वर्ष 1981 में सुनील उनियाल गामा ने जीवनयापन के लिए चकराता रोड पर प्रभात सिनेमा के पास पान की दुकान खोली। तब वह राजनीति से कोसों दूर थे और उनका ताल्लुक बेहद साधारण परिवार से था।

 आमदनी बढ़ाने के लिए उन्होंने इसके बाद चाउमिन की दुकान भी चलाई। उन्होंने कुछ मित्रों की सलाह पर वर्ष 1989 में नगर पालिका परिषद, देहरादून (तब नगर निगम नहीं था) से सभासद का चुनाव लड़ा। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा और फिर वह अपने पुराने काम पर लौट आए। निर्दलीय चुनाव लड़ने के करीब दो साल बाद वर्तमान में कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई।
 
भाजपा का हिस्सा बनने के बाद वह फिर से सभासद का चुनाव लड़ने के ख्वाब देखने लगे। यह बात और है कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया। वर्ष 1992 में गामा भाजयुमो के वार्ड अध्यक्ष बने और उन्होंने खुद को पार्टी के प्रति समर्पित कर दिया। इसके साथ-साथ उन्होंने छोटा-मोटा काम धंधा जारी रखा।

चाउमिन की दुकान चलाने के साथ ही ठेकेदारी भी शुरू कर दी और कुछ समय विडियोग्राफी का भी काम किया। इसके बाद उन्हें भाजयुमो का नगर अध्यक्ष और फिर और जिलाध्यक्ष भी बनाया गया। भाजपा से भी वह दो बार जिलाध्यक्ष की दौड़ में रहे और उन्हें समर्थन भी प्राप्त था। अफसोस कि दोनों ही बार उन्हें यह जिम्मेदारी नहीं दी गई। निराश होने के बाद भी उन्होंने आस नहीं छोड़ी और पार्टी के हित में काम करते रहे। कुछ समय बाद उन्हें भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की जिम्मेदारी दी गई।

वह प्रदेश मंत्री रहे और महामंत्री पद पर भी उन्हें जगह मिली। हालांकि उन्हें एक बड़े ब्रेक की जरूरत थी, ताकि चुनाव लड़कर अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित कर पाते। 30 साल से अधिक समय से भाजपा से जुड़े रहने के बाद इस दफा उनकी मेहनत का फल मिला और उन्हें सीधे देहरादून नगर निगम से महापौर पद का टिकट थमा दिया गया। लंबे समय बाद मिले इस ब्रेक को गामा ने व्यर्थ नहीं जाने दिया और पहले ही प्रयास में रिकॉर्ड मतों से जीत भी हासिल कर ली।

उनके इसी संघर्ष और शुरुआती दिनों की मुफलिसी के चलते लोग अनायास ही नहीं उनकी तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर रहे हैं। स्वयं गामा भी मोदी को अपना आदर्श मानते हैं और उनकी तरह खुद को जनता का चौकीदार बताते हैं।

सुनील उनियाल गामा, (देहरादून नगर निगम से महापौर पद पर निर्वाचित) ने कहा कि‍ मेरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मैं इस बात को कभी नहीं भूल सकता कि संघर्ष ही बदौलत ही आज इस मुकाम तक पहुंचने में सफलता हासिल हुई है। मुझे देहरादून के लिए बहुत कुछ करना है और इसकी शुरुआत नए वार्डों में स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था को दुरुस्त कर की जाएगी। साथ ही समूचे दून शहर की सफाई व्यवस्था के लिए ठोस नीति अपनाई जाएगी।

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