उत्तराखंड में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को मौसम का मिजाज बदला रहा। चारधाम समेत औली और आसपास की चोटियों में हिमपात हुआ। जबकि, मसूरी, चकराता समेत कई इलाकों में बारिश हुई। मौसम विभाग ने पर्वतीय इलाकों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि और मैदानों में तेज हवाएं चलने की संभावना जताई है।
मौसम ने करवट बदली और दून समेत मैदानी इलाकों में तेज हवाएं चलने लगी। जबकि, मसूरी, चकराता और आसपास के इलाकों में जोरदार ओलावृष्टि हुई। यहां लाल टिब्बा, गनहिल, चारदुकान, मलिंगार, कुलड़ी बाजार, मालरोड, लाइब्रेरी बाजार में ओलावृष्टि से सफेद चादर बिछ गई। वहीं, चारधाम, हेमकुंड साहिब, औली, हर्षिल समेत चोटियों पर हिमपात हुआ। चमोली में कई जगह बारिश और ओलावृष्टि के दो से तीन दौर हुए। बर्फबारी के चलते हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर सेना के जवानों को बर्फ हटाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिसके चलते मार्ग पर कार्य बंद करना पड़ा।
औली में भी दो इंच से अधिक बर्फबारी हुई। इसी तरह देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारी भी बदरीनाथ धाम में यात्रा व्यवस्था के लिए पहुंच चुके हैं। यहां भी रुक रुककर बर्फबारी होने से कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। फूलों की घाटी के अलावा ऊंची चोटियों पर भी लगातार बर्फबारी हो रही है।
उधर, कुमाऊं के सभी जिलों में बुधवार रात से गुरुवार सुबह तक बारिश का दौर जारी रहा। पिथौरागढ़ जिले में उच्च हिमालय और कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में छियालेख, गुंजी से आगे व मुनस्यारी के खलियाटॉप तक हिमपात हुआ है।
शहरों में सामान्य से पांच डिग्री नीचे पहुंचा पारा
देहरादून समेत प्रदेश के ज्यादातर शहरों में बारिश के कारण तापमान ने भी गोता लगाया है। दून में अधिकतम पारा सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस नीचे पहुंच गया है। जबकि, अन्य शहरों में भी तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मसूरी, नैनीताल समेत अन्य पर्वतीय नगरों में बारिश के कारण पारे ने गोता लगाया, जिससे यहां सुबह-शाम ठिठुरन लौट आई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शुक्रवार को प्रदेश के देहरादून, टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल और चंपावत जिले में कहीं-कहीं ओलावृष्टि व बारिश हो सकती है। जबकि, मैदानी इलाकों में झोंकेदार हवाएं चल सकती हैं।
बेमौसम बारिश से सेब की बागवानी को नुकसान
उत्तरकाशी जिले में पिछले तीन घंटे से लगातार हो रही है बारिश। गंगोत्री, यमुनोेत्री, हर्षिल घाटी, हरकीदून घाटी में बर्फबारी हो रही है। बेमौसम बारिश से सबसे अधिक नुकसान सेब की बागवानी और गेहूं की खड़ी फसल को हुआ है। इसी बीच ओलावृष्टि ने भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ के उद्यान विशेषज्ञ डॉ. पंकज नौटियाल कहते हैं कि यह समय सेब, नास्पाति की फ्लावरिंग का है। 22 मार्च से लेकर 30 अप्रैल तक सेब के पेड़ों में परागण क्रिया होती है। इसलिए इस समय बारिश और बर्फबारी बिल्कुल भी सही नहीं हैं।
इस दौरान हर्षिल घाटी में अधिकतम तापमान 15 से 20 डिग्री के बीच रहना चाहिए। लेकिन, वर्तमान में हर्षिल घाटी में अधिकतम तापमान 5 से 6 डिग्री से अधिक नहीं है। इस तापमान में मधुमक्खी ठहर नहीं पाती हैं। परागण क्रिया में मधुमक्खी का बहुत बड़ा योगदान होता है। मधुमक्खी के न ठहरने से परागण क्रिया नहीं हो पाती है। इसका असर सीधे फल उत्पादन पर पड़ेगा। इन दिनों जो तापमान हर्षिल में होना चाहिए था वह मौसम उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के आसपास है। शुक्रवार को उत्तरकाशी जिला मुख्यालय का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री और अधिकतम तापमान 16 डिग्री दर्ज किया गया।