देहरादून, आयुष शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने एक और पहल की है। आयुष कॉलेजों में अब वही पढ़ा सकेंगे, जिन्होंने आयुष नेशनल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट पास किया हो। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिव व आयुष निदेशकों को इस आशय का पत्र भेजा है। यह सभी शासकीय व निजी आयुष कॉलेजों पर लागू होगा।
बता दें, उत्तराखंड समेत देशभर में सात सौ से ज्यादा आयुष कॉलेज संचालित हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सीसीआइएम के स्थान पर नई गवर्निंग बॉडी अस्तित्व में आने वाली है। इससे पहले केंद्र सरकार यह चाहती है कि चिकित्सा के साथ-साथ आयुष चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार किया जाए।
प्रदेश के शासकीय व निजी आयुष कॉलेजों में करीब 450 डॉक्टर असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसरों के पद पर कार्यरत हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से उत्तराखंड में निजी कॉलेजों की फैकल्टी की गुणवत्ता में सुधार आएगा। पात्रता परीक्षा पास कर कॉलेजों में फिल्टर होकर अच्छी फैकल्टी मिलेगी।
असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर आवेदन से पूर्व पात्रता परीक्षा की व्यवस्था बेहतर प्रयास है। जो वर्तमान में कार्यरत हैं उन्हें भी दो साल के भीतर यह परीक्षा पास करनी है। जिस किसी के पास डॉक्टरेट की उपाधि है उसे वरीयता दी जाएगी। पीएचडी उपाधिधारक को एक वर्ष का अतिरिक्त शैक्षणिक अनुभव माना जाएगा।
बता दें, सीसीएच/सीसीआइएम आयुष कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं। संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों से लेकर पढ़ाने वाले शिक्षकों तक के लिए अब हाजिरी का फॉर्मेट बदल दिया गया है। शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मियों, हॉस्पिटल स्टाफ व पीजी छात्रों की हाजिरी के लिए आधार बेस्ड जियो लोकेशन इनेबल्ड अटेंडेंस सिस्टम अमल में लाया गया है।
शिक्षकों को यूनीक वेरिफिकेशन कोड भी आवंटित किया जा रहा है। इसके अलावा कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए संबंधित राज्य के चिकित्सा बोर्ड में पंजीयन कराना भी जरूरी कर दिया है।
आयुर्वेद विवि की वेबसाइट पर 20 दिन से ‘कमिंग सून’
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को अस्तित्व में आए एक दशक बीत चुका है, पर विवि प्रशासन की कार्यशैली में सुधार नहीं दिख रहा है। कभी नियुक्तिया, कभी उपकरण खरीद और कभी संसाधनों की कमी के कारण विश्वविद्यालय चर्चाओं में रहा है। पर अब लगता है कि विवि को छात्रों के भविष्य की भी चिंता नहीं है।
अगस्त शुरू होने वाला है और विवि अभी तक आयुष-यूजी की काउंसिलिंग की तिथि ही तय नहीं कर पाया है। जबकि केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद (सीसीआइएम) द्वारा तय शेड्यूल के मुताबिक प्रथम राउंड की काउंसिलिंग खत्म कर अब तक द्वितीय राउंड की तैयारियां शुरू हो जानी चाहिए थीं। उस पर विवि की वेबसाइट भी अभ्यर्थियों को मुंह चिढ़ा रही है।
काउंसिलिंग के लिंक पर पिछले 20 दिन से ‘कमिंग सून’ ही चल रहा है। बता दें, बीती नौ जुलाई को विवि की काउंसिलिंग बोर्ड की बैठक में तय किया गया था कि 24 जुलाई से ऑनलाइन काउंसिलिंग कराई जाएगी। काउंसिलिंग के लिए एक एजेंसी का चयन भी किया गया, पर टेंडर में हिस्सा लेने वाली दिल्ली की एक अन्य एजेंसी ने विवि को लीगल नोटिस भेज दिया।
उसका आरोप था कि मानकों के हिसाब से वे पहले नंबर पर थे, जबकि टेंडर दूसरी एजेंसी को दिया जा रहा है। इस विवाद को देख विवि ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पर काउंसिलिंग अब कब होगी इसका अता-पता नहीं है। सीसीआइएम के निर्देशों के तहत स्टेट काउंसिलिंग पांच जुलाई से शुरू हो जानी चाहिए थी। 12 अगस्त से दूसरा राउंड शुरू हो जाना चाहिए। लगता है कि विवि प्रशासन को न अपनी जिम्मेदारी का अहसास है और न छात्रों के भविष्य की परवाह है।
विवि के प्रभारी कुलसचिव रामजी शरण शर्मा का कहना है कि काउंसिलिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जल्द काउंसिलिंग बोर्ड में तारीख भी तय कर ली जाएगी। पर काउंसिलिंग बोर्ड की ये बैठक कितनी तारीख को है, इसका जवाब भी उनके पास नहीं है।